shweta soni

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बारिश और मेरी दुश्मनी

सावन बरसे ...तरसे दिल , क्यूं ना निकले घर से दिल 

बरखा में भी दिल प्यासा है...ये प्यार नहीं तो क्या हैं....!!!

आज सुबह - सुबह मां ये गाना सुन रही थी । और मैं उसी वक्त सोके उठकर किचन के पास वाली डायनिंग टेबल पर पालथी मारकर बैठ गई और मैं भी गाने सुनने लगी ।‌ खैर गाना वैसे अच्छा था मतलब अभी भी हैं । लेकिन एक बात मेरी समझ - समझ के समझ में नहीं आई , कि हमारी मांओं को पुराने गाने अच्छे लगते कैसे हैं ? अरे पुराने तो छोड़ो , ये जो आजकल के गाने आये हैं ना जिसे सुनकर ही सामने वाले का नक्शा बिगाड़ने का मन करता है । मैं तो चुन कर गाने सुनती हूं , खैर छोड़िए उसे .. मैं बात कर रही थी मेरी मां के पुराने गानों के बारे में ! गाने उस पर उसमें ये प्यार ...! हद है यार ! जो भी ये गाने सुन ले ना ,वो तो फिर कल्पनाओं में ही जीने लगे । 

मैं भी , मां के रोज - रोज के ऐसे गाने सुन - सुन के कल्पनाएं करने लगी थी । ये बारिश जिसमें भीगती मैं और अचानक से कहीं एक खूबसूरत सा नवजवान जिससे मैं टकरा गयी ! फिर हमारी नजरें मिले और नजरें मिलते - मिलते प्यार हो जाए ! हाय... मैं और मेरे सपने ऐसे जैसे ये मुंगेरीलाल के हो ! 

मैं भी मां के गाने आंख बंद करके सुन ही रही थी और अपनी कल्पनाओं में जी रही थी कि , मां ने मुझे हिलाते हुए सपनों से जगाकर हकीकत की जमीं पर ला पटका । 

" ये देखो , राजकुमारी रत्नावली को , रात पूरी कम पड़ गयी हैं , जो अब यहां बैठें - बैठें ऊंघ रही है । " मां ने मुझे अतिउच्च शब्दों से अलंकृत करके धन्य करते हुए कहा ! 

मां कि बातें सुनकर मैं और मेरी कल्पनाएं अपने ठिकाने पर आ गई थी और मैं सीधे नहाने चली गई । नहाकर वापस सोफे पर बैठ कर , अपने मोबाइल में लगी पड़ी थी  कि , मां कि आवाज फिर मेरे कानों को पिघलाती हुई प्रतीत हुई । 

मां -; आग लगे इस मुंए मोबाइल को जब देखो तब इससे दिनभर चिपकी रहती है । आखिर ऐसा क्या है इसमें जो दिन भर तेरे हाथों में ही लगा रहता है ।‌ अब इस मुंए मोबाइल को छोड़ नहीं तो अभी इसका खून हो जाना है मेरे हाथों और जल्दी से तैयार हो जा मार्केट जाना है राखी की खरीदारी करने । परसों राखी हैं और तुझे कुछ होश ही नहीं है , कि अपने इकलौते भाई के लिए राखी ले आये । ये भी मुझे बतानी पड़ रही है ।‌ 
मां ने इस तरह से कहा , जिसे सुनकर एक बार मैं भी खौफ खा गई । और जल्दी से मोबाइल को सोफे पर रख कर तैयार होने चल दी । 

मैं - हम्म...भाई भी तो अच्छा होना चाहिए ,‌ तब ना कहीं याद रहे कि राखी लेनी है । एक नमूना जैसा तो भाई दे दिया है भगवान ने , मां के रुप में झांसी की रानी दे दी ।‌ पापा तो जगमोहन सिंह बने बैठे रहते हैं , उस पर ये नमूना ! इसे राखी बांधने से अच्छा मैं गली के कुत्तों को ना राखी बांधूं ! हरकतें भी तो ऐसी हैं इसकी , कुत्ते - बिल्ली की तरह तो लड़ते हैं  हम दोनों , एक बार तो वो भी शरमा जाये हमारी लड़ाई देखकर ! ऐसी होती हैं हमारी लड़ाई । 

मैं भी उसे कोसते हुए निकल पड़ी राखी लेने । एक सिंपल सा सूट पहना , एक छोटा हैंडपर्स रखा स्लीपर पहनी और निकल पड़ी राखी की खरीदारी करने । घर से बाहर कदम रखा ही था , कि काले बादल दिखाई दिए । लेकिन इसे मेरी आदत कहिए या आलस , एक बार जो घर से निकल गई तो फिर वापस जाने की इच्छा नहीं हुई कि छाता ले आऊं । अब पानी गिरे या बादल फटे , जाना तो है ही ! यही सोचते हुए और अपने नमूने भाई को कोसते हुए जा ही रही थी । कि हल्की - हल्की सी बूंदा-बांदी शुरू होने लगी ।‌ उपर से आज कोई टैक्सी या आटो नहीं चल रही थी । तभी बारिश थोड़ी तेज होने लगी और मैं बारिश से बचने के लिए पास ही के एक चाय की शाॅप पर चली गई । मैं बारिश में थोड़ा बहुत भीग गई थी ।‌ लेकिन एक बात तो है , हम जो गाने सुनकर कल्पनाएं करते हैं ना वो वास्तविक जीवन में कहीं फिट नहीं बैठती । मैंने सोचा चलो बारिश हुई हैं , ऐसी ही बारिश में अगर मैं किसी हैंडसम लड़के से टकरा जाऊं तो ... सोचकर ही अपने आप चेहरे पर एक लंबी मुस्कुराहट फैल गई । तभी मेरी मुस्कराहट कुछ आवाजें सुनकर कम क्या बंद ही हो गई ।‌

उसी समय कुछ लड़के ही ही..हा..हा करते उस शाॅप में आये । उन्होंने इधर - उधर देखा और मुझे देखकर थोड़ी देर के लिए चुप हो गए ।‌ फिर उनमें से किसी ने बेहद , घटिया तरीके से गाना गाने लगे । एक बार तो मेरा मन किया कि , अपनी जगह उठ कर अपनी स्लीपर निकाल कर उसके चेहरे और स्लीपर दोनों के टूटते तक मारूं । लेकिन मैंने ऐसा कुछ ना करके वहां से भारी बारिश में घर की राह ली । पूरे रास्ते भींगते हुए आई , घर आकर मां के सुमधुर शब्दों से अपने कानों को पवित्र किया । जिसे सुनकर मेरा नमूना भाई अपने दांते निपोर रहा था । कसम से मां के जाने के बाद उसके दांत तोड़ देने हैं मुझे ! लेकिन धीरे-धीरे रात होते होते  मुझे सर्दी और खांसी ने जकड़ लिया है । अभी भी एक मोटा कंबल ओढ़े और मां के सुमधुर शब्दों को सुनते हुए बैठी हूं ....। बस ठीक हो जाऊं फिर तो नमूने और साउंड सिस्टम दोनों को घर से बाहर फेंक दूंगी ।

समाप्त

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7 Comments

Haaya meer

10-Aug-2022 10:33 PM

सभी बहन भाईयों का रिश्ता ऐसा ही होता है, थोड़ी तकरार तो वही ढेर सारा प्यार

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Mohammed urooj khan

10-Aug-2022 06:58 PM

वाह क्या कहानी थी, पढ़ कर मज़ा भी आया हसीं भी 😂😂😂👌👌👌👌

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shweta soni

10-Aug-2022 08:35 PM

धन्यवाद सर 🙏😊

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Ilyana

10-Aug-2022 10:55 AM

Nice

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